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गुर्जर बेटी ने लिया देेहदान का सकंल्प

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देहदान देने का निर्णय की उम्र का कोई बंधन नहीं होता….

कोटा की दीपिका गुर्जर ने युवा होते हुए अपनी मृत्यु के बाद देहदान देने का निर्णय लिया

कोटा 15 जनवरी। आज वैज्ञानिक दौर में अगर कोई अपनी मृत्यु के बाद देश के भावी डॉक्टर की पढ़ाई के लिए अपनी देहदान देता है। मृतकदाता अपने शरीर को मानव परिवार के स्वास्थ्य और देश के कल्याण में सबसे उपयुक्त साधन मानता है। आज के समय कोई जीवित व्यक्ति अपना कुछ देने से पहले सौ बार सोचता है। ये माया, मोह उसे कुछ करने नहीं देती है। अगर मरने के बाद अपनी देहदान जीवित ही यह निर्णय लेता है निस्वार्थ भावना का ये रिश्ता केवल सम्बंध का नहीं होता मानवता का  होता है। अपनी देहदान देने का निर्णय की उम्र का कोई बंधन नहीं होता।

वहीं कोटा स्थित सरस्वती कॉलोनी बांरा रोड़ दीपिका गुर्जर ने युवा होते हुए अपनी मृत्यु के बाद देहदान देने का निर्णय लिया।

हाडौती गुर्जर महिला जागृति मंच मीडिया प्रभारी अंकित गुर्जर ने बताया कि दीपिका पेशे से चिकित्सा विभाग से जुड़ी हुई है। यह प्रेरणा उसे अपने गुरूजन, माता-पिता और समाज के लोगो से मिली है। जब वह चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षा ग्रहण कर रही थी तब उसे कई बार सुनने को मिलता था भावी चिकित्सको को अध्ययन के लिए देह की आवश्यकता है। और अपने देश में देहदान का बहुत कम प्रचलन है।

जब मै छोटी थी तो मेने पढ़ा था लोरेंस नाइटेंगल नर्स के बारे में पढ़ा था और ये पूर्णतः मानव सेवा के लिए समर्पित थी और उनसे मैं बहुत प्रभावित हुई। मैने मानव सेवा का निर्णय कर लिया था।

मैने 2007 से 2010 के समय मैने ये सकंल्प ले लिया था। पर सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से उस समय पूरा नहीं कर पाई। मैने 2024 में अपने माता-पिता, समाज परिवार, गुरूजनो से इस विषय में फिर से चर्चा करी और मेरे पिता रविरत्न गौड़ और माता राजेश्वरी गोचर दोनो ही शिक्षा विभाग से सेवानिवृत है ने मुझे इसकी सहमति प्रदान करी । एचकेएस मेमोरियल के सहयोग से मैने शाइन इंडिया फाउण्डेशन के डॉ. कुलवंत गौड़ से सम्पर्क किया। 8 जनवरी 2025 डॉ. कुलवंत गौड द्वारा मुझे देहदान का प्रमाणपत्र दिया और मानव जीवन के लिए भारत देश के भावी चिकित्सको के निर्माण में सहायता मिले इससे ज्यादा खुशी की कोई बात नहीं होगी।

आज गुर्जर समाज की युवतियों द्वारा दीपिका गुर्जर को अपने इस महान कार्य के लिए घर जाकर बधाई दी और गुर्जर समाज की पहली देहदान करने वाली महिला बनने और गुर्जर समाज के युवक-युवतियों को कम उम्र में अपनी देहदान करने की प्रेरणा मिली। इस अवसर पर हाड़ौती गुर्जर महिला जागृति मंच की गौरी गुर्जर, पवित्रा गुर्जर, खुशमिता गुर्जर, अंकिता गुर्जर आदि उपस्थित थी।

Third Eye News 24
Author: Third Eye News 24

सत्यमेव जयते

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