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‘असल में वही जीवन की चाल समझता है, जो सफर की धूल को भी गुलाल समझता है‘,

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स्थानीय कवि सम्मेलन व मुशायरे में बिखरा देशभक्ति व हास्य-व्यंग्य का रंग
बारां 18 सितम्बर। डोल मेला रंगमंच पर मंगलवार रात्रि को स्थानीय कवि सम्मेलन व मुशायरा आयोजित किया गया। इसमें शहर सहित जिलेभर से आए कवि व शायरों ने गीत, गजल, शायरी व कविताओं के माध्यम से श्रोताओं की वाह-वाही लूटी। कई नवादित रचनाकारों ने भी पहली बार काव्य पाठ किया। वरिष्ठ कवियों व शायरों ने हास्य, ओज व श्रृंगार के गीत, गजल, शायरी समेत विभिन्न विधाओं की रचनाओं से श्रोताओं को खूब गुदगदाया व मंत्रमुग्ध कर दिया। अतिथियों द्वारा सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत हुई। नगर परिषद आयुक्त सौरभ जिंदल, जेईएन मान सिंह मीणा, मेलाध्यक्ष योगेंद्र मेहता, पार्षद पीयूष सोनी, यशवंत यादव, सुनील सांखला, ओम चक्रवर्ती, नीरज चौहान, जाकिर खान, बालकिशन शर्मा अतिथियों ने आदि ने कवियों व साहित्यकारों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। बच्छराज राजस्थानी और राजेश तिरंगा के संचालन में वरिष्ठ कवि ओमप्रकाश शास्त्री ने सबकुछ डांवाडोल मिलेगा, आने वाली पीढ़ी को, राधेश्याम राष्ट्रवादी ने मैं भारत की गौरव गाथा, शूरवीरों की वाणी हूं, पढ़कर कविसम्मेलन को ऊंचाईयां दी। सुनील शर्मा ने असल में वही जीवन की चाल समझता है, जो सफर की धूल को भी गुलाल समझता है, कविता सुनाकर दर्शकों की वाह-वाही लूटी।

‘रील‘ के चक्कर में ‘रियलिटी‘ भूल गए
इसी प्रकार वरिष्ठ गीतकार छीतरलाल गांवडे़ेल ने ‘यहां भूख प्यास में तड़फ-तड़फकर गायें रोज देती जान, अन्नदाता जिसको कहते मरते रोज किसान‘ गीत पढा, तो कवि सत्यनारायण शर्मा ने ‘ईमानदारी की बात गई अब, बईमानी जे बढ़गी‘, बच्छराज राजस्थानी ने हाड़ोती व श्रृंगार गीत पढ़कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। जबकि वरिष्ठ गीतकार हीरालाल कामेलिया ने ‘म्हारो प्यारो राजस्थान, एवं वरिष्ठ साहित्यकार राजेश पंकज ‘रंगीला‘ ने ‘रील‘ के चक्कर में ‘रियलिटी‘ भूल गए, कहीं झील तो कहीं झरने में फिसल गए‘ आदि व्यग्य सुनाकर श्रोताओें को हंसने पर मजबूर कर दिया। जबकि सुरेश चक्रधारी ने ‘चुनाव आया आता ही रहगा, लीलाधर पांचाल ने गौर पहन शूट राजपूती या तो गांव चाली‘ गीत सुनाकर सबको भावविभोर कर दिया। रमन अजमेरा ने ‘शहीदों का अपमान हो रहा है, जो इस देश की जान है, रामदिल कंडारा ने ‘देखा-देखो जी या डोकरा की छाती गाड़ी, ने ‘जब-जब शहीद अमर होते हैं, देश आबाद होता है‘, पढ़कर श्रोताओं की खूब दाद पाई। नवोदित व युवा कवि निरंगजन योगी ने अंधेरे में भी उजाला होता है, असरद बारानवीं आदि उम्दा गजल, शायरी आदि से मुशायरा का माहौल पैदा कर खूब वाह-वाही लूटी। इनके अलावा युवा कवि योगेंद्र यादव, राज प्रमोद राज, हरिओम राठौर, बृजराज प्रजापति, पुष्पदयाल वर्मा, हरीशचंद्र सेन, नवोदित कवयित्री मधुरिमा पाठक ने मारवाड़ का शौर्य है, गीत पढ़कर कवि सम्मेलन को यादगार बना दिया। कवि सम्मेलन में तकरीबन 52 कवियों ने काव्य पाठ किया।

डोल मेला रंगमंच पर आज-
मेलाध्यक्ष योगेंद्र मेहता ने बताया कि प्रतिदिन आयोजित हो रहे सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रंखला में डोल मेला रंगमंच 19 सितम्बर को रात्रि 9 बजे अनंत इवेंट की ओर से मुशायरा का आयोजन होगा।

 

Third Eye News 24
Author: Third Eye News 24

सत्यमेव जयते

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